निबंध लेखन : विज्ञान के चमत्कार
विज्ञान के चमत्कार
प्रस्तावना – मानव-शरीर के भीतर दो प्रकार की शक्तियाँ हैं। एक का संबंध हृदय और आत्मा से है और दूसरी का संबंध मस्तिष्क से है । जब मानव की हार्दिक और आत्मिक शक्ति का विकास होता है, तो उसका झुकाव साहित्य, धर्म और आध्यात्मिकता की ओर होता है । इसके प्रतिकूल जब मानव की मस्तिष्क शक्ति का विकास होता है, तो वह तार्किक बन जाता है और परिणामस्वरूप विज्ञान की सृष्टि होती है। विज्ञान मनुष्य की मस्तिष्क-संबंधी शक्ति के एक पूर्ण विकास का नाम है। उसमें आस्था, अनुभूति और विश्वास के लिए कोई स्थान नहीं है। वह सत्य होते हुए भी शिवं और सुंदरं से अपने को दूर रखता है। उसका संपूर्ण संसार केवल तर्क और विवेचना पर ही आधारित है।
विज्ञान का महत्त्व – आज का युग पूर्ण रूप से विज्ञान का युग है। आज के मानव की मस्तिष्क-संबंधी शक्ति का विकास अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया है। उसकी मस्तिष्क की शक्ति ने उसकी आत्मिक और हार्दिक शक्ति को इतना पदाक्रांत कर दिया है कि उसका अस्तित्व भी कहीं दृष्टिगोचर नहीं होता। यही कारण है कि आज का मानव पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है। आज के मानव ने विज्ञान के द्वारा प्रकृति को अपने वश में कर लिया है। उसने विज्ञान के द्वारा कठिन से कठिन रहस्यों का उद्घाटन किया है और ऐसे साधनों का आविष्कार किया है, जिसके कारण जीवन की कठिनाइयाँ सरलता के रूप में परिवर्तित हो गई हैं। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आज विज्ञान ने एक ऐसी क्रांति-सी उपस्थित कर दी है, जिसके कारण अब जीवन अधिक सुखमय बन गया है।
विज्ञान की देन – आधुनिक युग में दिन-दिन विज्ञान की उन्नति हो रही है। दिनों-दिन नए-नए जीवनोपयोगी साधन सामने आ रहे हैं और नई-नई उपयोगी वस्तुओं का आविष्कार हो रहा है। विज्ञान की इस सर्वव्यापिनी उन्नति से अनेक प्रकार के लाभ हुए हैं । आज विज्ञान के ही द्वारा हमें रेल, मोटर साइकिल, जलयान और वायुयान इत्यादि सवारियाँ प्राप्त हुई हैं, जिन्होंने स्थल, जल और गगन के मार्गों को भी हमारे लिए अधिक सरल और सुविधाजनक बना दिया है। आज इन सवारियों के द्वारा हम चाहे जहाँ सुगमतापूर्वक यात्रा कर सकते हैं। पृथ्वी की तो कोई बात नहीं, आज वायुयान के द्वारा हम चंद्रलोक की भी परिक्रमा कर लेते हैं गौरीशंकर की ऊँची चोटी भी आज वायुयानों के द्वारा हमारे लिए सुगम बन गई है।
केवल यातायात में ही नहीं, समाचारों और विचारों के आदान-प्रदान में भी आज विज्ञान ने समय की अधिक बचत की है। टेलीफोन, बेतार के तार और रेडियो के द्वारा आज हम अविलंब एक स्थान से दूसरे स्थान पर समाचार भेज देते हैं। बेतार के तार द्वारा आज इंग्लैंड, अमेरिका, रूस, चीन और भारत इत्यादि देश परस्पर कई सहस्रों मील की दूरी पर स्थित होने पर भी आपस में पड़ोसी की भाँति जुड़े हुए हैं। आज विज्ञान ने अपनी शक्ति से सबको एक में मिला दिया है। विज्ञान के अद्भुत आविष्कारों के कारण आज विश्व के संपूर्ण राष्ट्र एक-दूसरे के समाचारों और विचारों को कुछ ही क्षणों में बड़ी सरलता के साथ जान लेते हैं । विज्ञान की उपयोगिता चिकित्सा-जगत में भी सफल रूप में आविर्भूत हुई है। कई ऐसे रोग थे, जिन्हें प्राचीन काल में असाध्य कहकर छोड़ दिया जाता था, किंतु अब विज्ञान के द्वारा कठिन से कठिन रोगों की चिकित्सा होने लगी है। शिक्षा के प्रचार और प्रसार में आज विज्ञान से अधिक सहायता प्राप्त हो रही है। रेडियो और दूरदर्शन आज शिक्षा और ज्ञान के प्रचार के सर्वोत्तम साधन सिद्ध हो रहे हैं। रेडियो और दूरदर्शन के द्वारा घर बैठे ही विश्व के मनीषियों और विद्वानों के विचारों को सुनना अधिक सरल हो गया है। रेडियो और दरदर्शन पर प्रतिदिन भाँति-भाँति की ज्ञानवर्धक और शिक्षाप्रद वार्ताएँ होती हैं, जिनसे ज्ञान की वृद्धि में अधिक सहायता प्राप्त होती है। आज विज्ञान ने हमारे जीवन को अधिक सरल और सुगम बना दिया। आज विज्ञान के ही साधनों द्वारा हमें अपनी जीवनोपयोगी वस्तुएँ सरलता के साथ प्राप्त हो जाती हैं। जीवन के लिए भोजन और जल की अत्यधिक आवश्यकता है। आज विज्ञान ने अधिक-से-अधिक खाद्यान्न उत्पन्न करने के लिए नए-नए प्रकार के हलों का निर्माण किया है, जिनसे मिट्टी की कड़ी परतें भी टूटकर चूर-चूर हो जाती हैं। खाद्यान्नों की उपज में वृद्धि करने के लिए विज्ञान ने नई-नई खादों का भी आविष्कार किया है। कपड़ा, कागज और लकड़ी इत्यादि की विभिन्न आवश्यक वस्तुएँ भी आज विज्ञान के ही कारण हमें सुगमता से प्राप्त हो जाती हैं। इनके अतिरिक्त विज्ञान ने और अनेक जीवनोपयोगी वस्तुएँ भी हमारे लिए बहुत सरल बना दी हैं। जैसे समय का ज्ञान प्राप्त करने के लिए घड़ी, स्वच्छता के लिए साबुन, पुस्तकों की छपाई के लिए मुद्रण यंत्र, लिखने के लिए कागज़ और पेंसिल, फाउंटेन पेन, सिलाई के कार्य के लिए कैंची, सुई, धागा और सिलाई मशीनें।
विनाशकारी प्रभाव – विज्ञान से जहाँ अनेक लाभ हुए हैं, वहाँ इससे हानियाँ भी हो रही हैं। विज्ञान ने हमारे जीवन को सरल अवश्य बना दिया है; किंतु ऐसा ज्ञात होता है कि जीवन का भविष्य अंधकारपूर्ण बनता जा रहा है। आज मनुष्य विज्ञान के मार्ग पर इतनी तीव्रता के साथ दौड़ रहा है कि वह मानवता को भी भूल गया है। आज के मानव को मानवता प्रिय नहीं है। आज उसे प्रिय है, प्रकृति को पराजित करना और विश्व को अपने चरणों पर झुकाना। विज्ञान की शक्ति ने आज मानव को लोभ, मोह, हिंसा और ईर्ष्या का भंडार बना दिया है। आज का मनाव विज्ञान की छाया में बैठकर अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए भाँति-भाँति के संहारक यंत्रों और शस्त्रों का निर्माण कर रहा है। आज के मानव में, जिसमें जितनी ही अधिक वैज्ञानिकता का विकास हुआ है, वह उतना ही अधिक इस दिशा में अग्रसर हो रहा है। भाँति-भाँति के टैंक, मशीनगनें, टारपीडो, विषैली गैसें और परमाणु बम आज मानव की ईर्ष्यालु और वैज्ञानिक शक्ति ने मानव को अधिक ईर्ष्यालु और द्वेषी बना दिया है। मानव के बनाए हुए वैज्ञानिक संहारक शस्त्र एक दिन निश्चय ही उसका विनाश करेंगे।
उपसंहार – इसका यह तात्पर्य नहीं कि विज्ञान अनुपयोगी है। विज्ञान की उपयोगिता और उसके महत्त्व को कोई अस्वीकार नहीं कर सकता; किंतु उस पर नियंत्रण होना आवश्यक है। विज्ञान पर नियंत्रण केवल आध्यात्मिक भावना ही रख सकती है। विज्ञान तभी महत्त्वपूर्ण प्रमाणित हो सकता है, जब वह आध्यात्मिकता के साथ-साथ रहेगा । अतः विज्ञान के आचार्यों को विज्ञान के कल्याण के लिए विज्ञान के साथ-ही-साथ आध्यात्मिकता के विकास के लिए भी प्रयत्न करना पड़ेगा।