दिन जल्दी-जल्दी ढलता है – सार
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है – हरिवंश राय बच्चन
सारांश
कवि कहता है कि मन उत्कृष्ट इच्छाओं से भरा है, लेकिन समय सीमित है। अतः मन यह सोचकर घबराता है कि कहीं रास्ते में ही रात न हो जाए और वह अपने गंतव्य तक न पहुँच पाए। इस बात को कवि चिड़िया, पथिक आदि बिम्बों के माध्यम से प्रस्तुत करता है। लेकिन जब कोई प्रतीक्षा में व्याकुल न हो तो कदमों में शिथिलता आ जाती है, के माध्यम से कवि ने अपने अकेलेपन को व्यक्त किया है।