डायरी लेखन : उदाहरण
16 जनवरी, ……………….
एन॰सी॰सी॰ का मुंबई में शिविर लगने वाला था। उस शिविर में जाने की खुशी में मैं प्रातः पाँच बजे उठकर रेलवे स्टेशन पहुँच गया। कुछ देर प्रतीक्षा बाद मुझे अन्य साथी भी मिल गए, पर अंकुर को अनुपस्थित देखकर मन कुछ खिन्न हो उठा पूछने पर पता चला कि अचानक कल संध्या से उसकी तबीयत खराब हो गई थी। चिकित्सक महोदय ने पाँच दिन तक विश्राम का परामर्श दिया है।
4 मार्च, …………….
परीक्षा सिर पर थी। सारी रात चिंता के कारण करवटें बदलते हुए बीती। चार बजे उठकर मुख प्रक्षालन कर जैसे ही टेबल पर बैठा, वैसे ही बिजली गुल हो गई। मन खिन्न हो उठा, विद्युत् प्रदाय संस्थान पर। ये लोग बिजली की कटौती में परीक्षार्थियों का भी ध्यान नहीं करते। बड़बड़ाते हुए लैंप जलाया। पुस्तक खोलकर बैठा। खिन्नता और परीक्षा के बुखार ने वैसे ही परेशान कर रखा था। फिर भी थोड़ा बहुत देखा। छः बजे माता जी ने नाश्ते के लिए आवाज़ लगा दी । बिजली अभी तक गुल थी। जल्दी-जल्दी शौचादि से निवृत्त होकर नाश्ता किया और स्कूटर उठाकर परीक्षा भवन की ओर चल दिया। वहाँ पर साथियों के खिले चेहरे देखकर कुछ आश्वस्त हुआ। ठीक समय पर परीक्षा आरंभ हुई। प्रश्न-पत्र देखते ही मन खिल उठा। सभी प्रश्न मुझे आते थे। प्रश्न पत्र की समाप्ति पर जब मैं परीक्षा भवन से निकला, तो अन्य साथियों को भी खुश पाया। कॉफी हाउस में चलकर कॉफी पी और घर लौट आया अगली परीक्षा की तैयारी के लिए ।