1. नारियल जे फरेला खवद से,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ओह पर सुगा मेड़राए।।
ऊ जे ख़बरी जनैबो अदित से
सुगा दिहली जुठियाय,
सुगा दिहली जुठियाय||
ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से
ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से
ओह पर सुगा मेड़राए,
ओह पर सुगा मेडराए ||
सुगा दिहली जुठियाय||
सुगा गिरे मुरझाए,
सुगा गिरे मुरझाए।।
ऊ जे ख़बरी जनैबो अदित से
सुगा दिहली जुठियाय,
सुगा दिहली जुठियाय||
ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से
सुगा गिरे मुरझाए, सुगा गिरे मुरझाए।
अर्थात
नारियल जो कि श्री छठ मैया को प्रसाद के लिए चढ़ाया जाता है, उस नारियल को पाने के लिए तोता चारों तरफ घूमता रहता है, परंतु उसे हासिल नहीं कर पाता है। अदित जिसे कुलदेवता के समान माना गया है उनसे खबरी कहता है कि तीर मारकर तोते (सुगा) को मूर्छित कर दो, ताकि वह नारियल को जूठा न कर पाए। इसी तरह तोता अब केले के पेड़ पर उसे खाने के लिए चारों तरफ घूम रहा है ताकि उसे खा सके। खबरी अदित से कहता है कि तोते को तीर मारकर मूर्छित कर दो ताकि छठी मैया को चढ़ने वाले प्रसाद को वह जूठा न कर पाए।
2. पहिले पहल हम कईनी,
छठी मईया व्रत तोहर,
छठी मईया व्रत तोहर ||
करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल – चूक गलती हमार,
भूल – चूक गलती हमार ||
गोदी के बलकवा के दिहा,
छठी मईया ममता – दुलार,
छठी मईया ममता – दुलार ||
पिया के सनईहा बनईहा,
मईया दिहा सुख सार,
मईया दिहा सुख सार ||
नारियल केरवा घवदवा,
साजल नदिया किनार,
साजल नदिया किनार ||
सुनिहा अरज छठी मईया,
बढ़े कुल परिवार,
बढ़े कुल परिवार ||
घाट सजवली मनोहर,
मईया तोरा भगती अपार,
मईया तोरा भगती अपार ||
लिहि ए अरग हे मईया,
दिहीं आशीष हज़ार,
दिहीं आशीष हज़ार ||
पहिले पहल हम कईनी,
छठी मईया बरत तोहर,
छठी मईया बरत तोहर ||
करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल – चूक गलती हमार,
भूल – चूक गलती हमार,
भूल – चूक गलती हमार ||
अर्थात
परंपरा का व्रत है छठ पूजा, इसमें व्रती छठ मैया से कहते हैं कि पहली बार व्रत रख रहा हूं। छठी मैया अगर कोई भूल चूक हो तो क्षमा करना। हमारी गोद में हमें बालक दीजिए जिससे ममता दुलार बड़े। पति को अच्छा बनाएं, ताकि उनसे प्यार बना रहे। छठ मैया तेरी भक्ति इतनी अपार है कि घाट सजाने का काम पूरी भक्ति से करते है। छठी मैया बहंग पहली पहली बार हम आपका व्रत कर रहे है अगर कोई भूल चूक हो तो गलती माफ करना।
3. क़ांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाय
बहंगी लचकत जाय
होई ना बलम जी कहरिया,
बहंगी घाटे पहुंचाय
कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाय
बहंगी लचकत जाय
बाट जे पूछेला बटोहिया,
बहंगी केकरा के जाय
बहंगी केकरा के जाय
तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया,
बहंगी छठ मैया के जाय
बहंगी छठ मैया के जाय
ओहरे जे बारी छठि मैया,
बहंगी उनका के जाय
बहंगी उनका के जाय
अर्थात
कच्चे बांस का डाला(बहंगी) जिसे पूजा का सामान फल-फूल भरा होता है, लेकर घर का सदस्य (बेटा या पति) घर पूजा स्थल तक जाता है। रास्ते में राहगीर जो कि अंधा होता है वह पूछता है कि डाला लेकर कहां को जा रहे हो, तो वह बताते कि छठ मैया की पूजा के लिए पूजा स्थल पर जा रहा हूं।