गद्यांश
नारी केवल कामिनी नहीं, जगद्धात्री भी है, अलंकरण-मात्र ही नहीं, समाज को जीवंत बनाने वाली प्रेरणा शक्ति भी है। आज जनमानस इस दृष्टिकोण से वंचित है। नारी इतनी शक्तिहीन नहीं है। माता बनकर उसकी शक्ति परोक्षरूप में अपने बालकों के चरित्र निर्माण में कार्य करती है। प्रिया रूप में वह समस्त दया, करुणा, ममता और माधुर्य का उपहार देकर पुरुष को उसके कार्यक्षेत्र के लिए नई ऊर्जा प्रदान करती है। विद्या-बुद्धि में गार्गी तथा अपाला बनकर और शौर्य में लक्ष्मीबाई एवं चाँदबीबी बनकर उसने अपने तेजस्वी रूप का परिचय समय-समय पर दिया है। स्वदेश में ही नहीं, विदेशों भी ऐसे उदाहरण पड़े हैं। जोन ऑफ आर्क ने एक साथ आत्मिक और शारीरिक बल के समन्वय से ऐसी ज्योति जलाई जो युगों-युगों तक उनका अमर रखेगी। इतिहास के पन्ने इस बात के साक्षी हैं कि नारी ने केवल चौका-चूल्हा ही नहीं सम्हाला, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर घोड़े की पीठ पर चढ़कर रणक्षेत्र में भी वीरता का परिचय दिया है। अपनी मर्यादा की रक्षा के लिए आततायी धूल चटा दी है।
निम्नलिखित से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों चयन कीजिए
प्रश्न 1. माता के रूप में नारी का क्या महत्वपूर्ण कार्य है?
(अ) बालकों के चरित्र निर्माण का
(ब) समाज को जीवंत बनाने का
(स) अपने तेजस्वी रूप का
(द) रणक्षेत्र में अपनी वीरता का
प्रश्न 2. नारी किस रूप में पुरुष को नई ऊर्जा प्रदान करती है ?
(अ) दया रूप में
(ब) प्रिया रूप में
(स) ममतामयी
(द) गृहणी रूप में
प्रश्न 3. विद्या – बुद्धि में किस नारी ने तेजस्वी रूप दिखाया है?
(अ) गार्गी
(ब) झलकारीबाई
(स) लक्ष्मीबाई
(द) चाँदबीबी
प्रश्न 4. नारियों ने आततायियों को धूल क्यों चटाई?
(अ) अपनी मर्यादा की रक्षा के लिए
(ब) वीरता का परिचय देने के लिए
(स) चौका – चूल्हा के लिए
(द) आत्मिक बल के लिए
प्रश्न 5. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(अ) जगद्धात्री नारी
(ब) वीरांगना नारी
(स) तेजस्वी नारी
(द) समाज की प्रेरणा शक्ति प्रदात्री