गद्यांश
आज का विद्यार्थी भविष्य की सोच में कुछ अधिक लग गया है। भविष्य कैसा होगा; वह भविष्य में क्या बनेगा; इस प्रश्न को सुलझाने में या दिवास्वप्न देखने में वह बहुत समय नष्ट कर देता है। भविष्य के बारे में सोचिए ज़रूर, लेकिन भविष्य को वर्तमान पर हावी मत होने दीजिए, क्योंकि वर्तमान ही भविष्य की नींव बन सकता है, अत: नींव को मज़बूत बनाने के लिए आवश्यक है कि भान तो भविष्य का भी हो, लेकिन ध्यान वर्तमान पर रहे। आपकी सफलता का मूलमंत्र यही हो सकता है कि आप एक स्वप्न लें; सोचें कि आपको क्या बनना है और क्या करना है और स्वप्न के अनुसार कार्य करना प्रारंभ करें। वर्तमान रूपी नींव को मज़बूत करें और यदि वर्तमान रूपी नींव सबल बनती गई, तो भविष्य का भवन भी अवश्य बन जाएगा। जितनी मेहनत हो सके, उतनी मेहनत करें और निराशा को जीवन में स्थान न दें। यह सोचते हुए समय खराब न करें कि अब मेरा क्या होगा, मैं सफल भी हो पाऊँगा या नहीं? ऐसा करने में आपका समय नष्ट होगा और जो समय नष्ट करता है, समय उसे नष्ट कर देता है। वर्तमान में समय का सदुपयोग भविष्य के निर्माण में सदा सहायक होता है। भविष्य के बारे में अधिक सोच या अधिक चर्चा करने से चिंताएँ घेर लेती हैं। ये चिंताएँ वर्तमान के कर्म में बाधा उत्पन्न करती हैं। ये बाधाएँ हमारे उत्साह को, लगन को धीमा करती हैं और लक्ष्य हमसे दूर होता चला जाता है। निःसन्देह भविष्य के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए, किंतु वर्तमान को विस्मृत नहीं करना चाहिए। भविष्य की नींव बनाने में वर्तमान का परिश्रम भविष्य की योजनाओं से अधिक महत्वपूर्ण है।
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए :
प्रश्न 1. आज का विद्यार्थी अपना बहुमूल्य समय किन बातों में नष्ट कर देता है?
(अ) भविष्य की सोच में
(ब) दिवास्वप्न देखने में
(स) (अ) व (ब) दोनों
(द) कल्पनाओं की उड़ान में
प्रश्न 2. वर्तमान में समय का सदुपयोग किसमें सहायक होता है?
(अ) भूतकाल के कार्यों में
(ब) भविष्य के निर्माण में
(स) चिंताओं में
(द) कोरी बातें बनाने में
प्रश्न 3. वर्तमान के कार्यों में कौन बाधा उत्पन्न कर देता है?
(अ) चिंताएँ
(ब) परिवार
(स) शिक्षा
(द) धर्म
प्रश्न 4. क्या भविष्य की योजनाओं से अधिक महत्वपूर्ण है?
(अ) वर्तमान का परिश्रम
(ब) समय का सदुपयोग
(स) आशावादी होना
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5. हम अन्ततः लक्ष्य से कैसे दूर होते जाते हैं?
(अ) भविष्य के बारे में अधीक सोचने से
(ब) अतीत पर अधिक ध्यान देने से
(स) निराशा को जीवन में स्थान न देने से
(द) परिश्रम पर जोर देने से