कैमरे में बंद अपाहिज – सार
कैमरे में बंद अपाहिज – रघुवीर सहाय (कवि)
सारांश
कविता में कवि ने मीडिया व समाज की संवेदनहीनता पर गहरा कटाक्ष किया है। एक मीडियाकर्मी अपने कार्यक्रम को आकर्षक एवं बिकाऊ बनाने के लिए विकलांग की दयनीयता को क्रूरता से उभारता है। कैमरे के सामने उससे ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं कि वह बेबसी से रोने लगता है। मीडियाकर्मी अपाहिज व्यक्ति के विकृत अंगों की बड़ी-बड़ी तस्वीरें स्क्रीन पर दिखाकर दर्शकों को उकसाते हैं। यह सब संवेदना से परे शुद्ध व्यावसायिक लाभ हेतु किया जाता है।