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काव्यांश


सुमित्रानंदन पंत की कविता “पर्वत प्रदेश में पावस” से ली गई पंक्तियाँ

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।


उड़ गया, अचानक लो, भूधर!

फड़का अपार पारद के पर!

रव-शेष रह गए है निर्झर !

है टूट पड़ा भू पर अम्बर!

धँस गए धरा में सभय शाल!

उठ रहा धुआँ, जल गया ताल!

यों जलद-यान में विचर-विचर!

था इन्द्र खेलता इन्द्रजाल !

सुमित्रानंदन पंत

प्रश्न 1. प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन दिखायी दे रहे हैं?

(अ) आकाश को धरती पर टूट पड़ता हुआ समझना
(ब) तालाब को बादलों रूपी धुएँ में जलता समझना
(स) शाल वृक्षों को धरती में धँसना
(द) ये सभी

प्रश्न 2. इंद्र देवता किसमें सवार होकर घूम रहे हैं?

(अ) बादल रूपी विमान में
(ब) पारद के पार में
(स) अम्बर में
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3. ‘रव-शेष रह गए है निर्झर’ पंक्ति का अर्थ बताईये।

(अ) झरने की आवाज़ सुनना
(ब) झरने की आवाज़ के अलावा कुछ भी सुनाई नहीं देना
(स) घने बादलों का आ जाना
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 4. “पर्वतीय प्रदेशों में अचानक घने बादलों के आ जाने के कारण दृश्य अदृश्य हो जाता है” नामक आशय से सम्बद्ध काव्य – पंक्ति लिखिए।

(अ) फड़का अपार पारद के पर
(ब) उड़ गया, अचानक लो, भूधर
(स) धँस गए धरा में सभय शाल!
(द) था इन्द्र खेलता इन्द्रजाल !