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काव्यांश – आज़ादी है अधिकार

निम्नलिखित काव्यांश ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

लक्ष्मण-रेखा के दास तटों तक जाकर ही फिर जाते हैं,

वर्जित समुद्र में नाव लिए स्वाधीन वीर ही जाते हैं।

आज़ादी है अधिकार खोज की नई राह पर पाने का,

आज़ादी है अधिकार नए द्वीपों का पता लगाने का।

रोटी उसकी, जिसका अनाज, जिसकी ज़मीन, जिसका श्रम है,

अब कौन उलट सकता स्वतंत्रता का सुसिद्ध, सीधा क्रम है।

आज़ादी है अधिकार परिश्रम का पुनीत फल पाने का,

आज़ादी है अधिकार शोषणों की धज्जियाँ उड़ाने का।


प्रश्न 1. ‘लक्ष्मण रेखा’ का तात्पर्य कविता में क्या है? उसके दास क्या नहीं कर पाते?

प्रश्न 2. स्वतंत्रता हमें क्या-क्या अधिकार देती है?

प्रश्न 3. स्वतंत्रता का ‘सुसिद्ध सीधा क्रम’ क्या है? आशय स्पष्ट कीजिए।