कविता : मेरे सपनों का भारत हो सबका प्यारा
मेरे सपनों का भारत हो सबका प्यारा
मेरे सपनों का भारत, सबका प्यारा हो
हर घर में रोशनी का समय उजियारा हो
हर घर में निर्मल जल की धारा हो।
मेरे सपनों का भारत सबका प्यारा हो
हर भारतीय हो शिक्षित अज्ञान का ना अंधियारा हो।
शोषित न हो कोई किसी पर न अत्याचार हो
मेरे सपनों का भारत सबका प्यारा हो
न हो द्वेष वैमनस्य घृणा आपस में
सब मिल – जुल कर रहें बहती प्रेम की धारा हो
मेरे सपनों का भारत सबका प्यारा हो।