कविता का सार : हरी – हरी दूब पर


कवि : श्री अटल बिहारी वाजपेई जी


प्रस्तुत कविता ‘ हरी – हरी दूब पर’ कवि ‘ श्री अटल बिहारी वाजपेई जी ‘ द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ओस की बूंदों को माध्यम बना कर जीवन के क्षणिक सुखों के महत्व को समझा रहे हैं। कवि कह रहे हैं कि चाहे जीवन में दुःख सूर्य की भांति अधिक समय तक रहे तथा सुख ओस की बूंद की भांति कुछ पल ही रहे, तब भी हमें खुशी के पलों को महसूस करना चाहिए। भाव दुःख देखकर हमें जीवन में घबराना नहीं चाहिए।