CBSE 12 Sample paperClass 12(xii) Hindi

आत्मपरिचय – सार


आत्मपरिचय – हरिवंश राय बच्चन (कवि)



सारांश


कवि के अनुसार अपने को जानना दुनिया को जानने से ज़्यादा कठिन है। समाज से व्यक्ति का नाता खट्टा मीठा होता है। जगजीवन से पूरी तरह निरपेक्ष नहीं रह सकते। | उसकी अस्मिता. उसका परिवेश ही उसकी , (कवि की) या फिर (व्यक्ति की) दुनिया है। वह अपना आत्मपरिचय देते हुए दुनिया से अपने द्विधात्मक और द्वंद्वात्मक संबंधों का मर्म स्पष्ट करता है ।