आँसू पैदा करने वाले व्यक्ति से दूरी बना लेना बेहतर होता है।
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जब आपके पास कुछ नहीं है, तब धैर्य रखना चाहिए और जब आपके पास सब कुछ हो, तब विनम्र रहना चाहिए ।
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यदि माता – पिता बच्चों की ढाल बनकर खड़े हो जाएं तो उन्हें सफल होने से कोई रोक नहीं सकता।
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हम में से हर कोई अपने तरीके से अलग है, कमजोरी और ताकत में अलग। आप गुलाब और डेज़ी या सूरज और चाँद की तुलना नहीं कर सकते। आप अद्वितीय हैं और यही आपको सुंदर बनाता है।
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जो जागरूक नहीं होता, उसे सभी दिशाओं से डर लगता है। जो सतर्क रहता है उसे कहीं से कोई डर नहीं होता।
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जब भी व्यक्ति बाहर जाता है तो दुनिया उसे अशांत करती है। इसके उलट जब वह आत्मा की ओर जाता है, तो उसे ब्रह्मा दिखाई देते हैं, जोकि शान्ति देते हैं। अपनी आत्मा, अपने स्वभाव में लीन होकर ही शांति पाई जा सकती है।
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नमस्ते शब्द संस्कृत से लिया गया है और यह नमः और ते से मिलकर बना है। नमः का मतलब है झुकना अथवा आदर प्रकट करना और ते का अर्थ है आपके लिए। नमस्ते का अभिवादन हमें एक सन्देश देता है कि जो व्यक्ति अभिवादन कर रहा है, भले ही वह अजनबी क्यों न हो, उसमें और आपमें एक समान आत्मा है। नमस्ते करके हम हर व्यक्ति के भीतर ईश्वरीय शक्ति को देखते हैं और उसका आदर करते हैं।
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दवा तो सिर्फ मर्ज का इलाज करती है, मरीज को स्वस्थ तो डॉक्टर ही करता है।
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यदि आप अति उत्साही, हर्षित और निराले हैं, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपके चिंतित होने की तुलना में बहुत बेहतर कार्य करेगी। जीवन की सम्पूर्णता अच्छे स्वास्थ्य में ही छिपी हुई है।
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हम उसी सोच का उपयोग करके समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते हैं, जैसी सोच के साथ हमने उन्हें बनाया है।
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जटिल में सादगी देखने की आदत डालें। छोटी-छोटी बातों में महारथ हासिल करें । ब्रह्मांड में, मुश्किल चीजें भी इस तरह से की जाती हैं जैसे कि वे बहुत आसान थीं।
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स्वामी विवेकानंद जी का मानना था कि लड़कियों को शिक्षा देने पर वे स्वतः ही अपने प्रश्नों को हल कर लेंगी। स्त्री शक्तिस्वरूपा है, वह रूप से साक्षात लक्ष्मी है, गुणों से सरस्वती है, वह साक्षात जगदम्बा है। सम्पूर्ण समाज की धात्री स्त्री हृदय से काम करती है और अपने साथ समाज की भी उन्नति करती है।
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कठिनाईयों का अर्थ यह है कि आप आगे बढ़ें, यह नहीं कि हतोत्साहित हों।
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अपने आँसू पोंछने के बजाय, आँसू पैदा करने वाले व्यक्ति से दूरी बना लेना बेहतर होता है ।