अब कहाँ दूसरों के दुःख में दुःखी होने वाले
प्रश्न – लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक प्रकृति और मनुष्य के संबंधों में किन बदलावों को महसूस किया ? ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख में दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक प्रकृति और मनुष्य के संबंधों में अनेक बदलाव देखे। उसने पाया कि जंगल कट गए। मनुष्य अपने चरम स्तर पर स्वार्थी हो गए हैं।
प्रकृति और जीवों के प्रति लोगों में दया का भाव नहीं रह गया है। पशु – पक्षी शहर छोड़कर कहीं भाग गए। जो भाग नहीं सके, वे दुर्गति और उपेक्षा सहकर जी रहे हैं।
बड़े – बड़े बिल्डर समुद्री जमीन को हथियाकर उस पर निरंतर नई इमारतें बनाकर समुद्र को पीछे धकेल रहे हैं। लोगों का जीवन छोटे – छोटे डिब्बों जैसे घरों में सिमटने लगा है।