अपठित गद्यांश : पूर्ण स्वराज्य
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए-
बीसवीं शताब्दी में भारत ने ब्रिटिश साम्राज्यवादी उप निवेशवादी व्यवस्था को अपने ऊपर से उतार फेंका। महात्मा गांधी की प्रेरणा से भारतीय जनता ने एक नए ढंग का संघर्ष कर अपनी स्वाधीनता प्राप्त की। गांधीजी ने राजनीतिक संघर्ष के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष को भी स्वाधीनता संग्राम से जोड़ दिया। उनके लिए राजनीतिक और प्रशासनिक भेदभाव के खिलाफ लड़ना जितना महत्त्वपूर्ण था उतना ही महत्त्वपूर्ण था सामाजिक और धार्मिक ढाँचे के भीतर के भेदभाव के विरुद्ध खड़ा होना। अपनी ‘आत्मकथा’ में गांधीजी लिखते हैं – “ऐसे व्यापक सत्यनारायण के प्रत्यक्ष दर्शन के लिए प्राणीमात्र के प्रति आत्मवत् प्रेम की भारी ज़रूरत है। इस सत्य को पाने की इच्छा करने वाला मनुष्य जीवन के एक भी क्षेत्र से बाहर नहीं रह सकता। यही कारण है कि मेरी सत्य पूजा मुझे राजनीतिक क्षेत्र में घसीट ले गई जो कहते हैं कि राजनीति से धर्म का कोई सम्बन्ध नहीं है, मैं निस्संकोच होकर कहता हूँ कि ये धर्म को नहीं जानते और मेरा विश्वास है कि यह बात कह कर मैं किसी तरह विनय की सीमा को लाँघ नहीं रहा हूँ।” आज राजनीति को धर्म से अलग मानने वालों को गांधीजी की यह बात ज़रूर सुननी चाहिए। अपने इसी विश्वास के कारण गांधीजी ने सामाजिक और धार्मिक ढाँचे के भीतर समानता के संघर्ष को प्रमुखता से आगे बढ़ाया क्योंकि वे जानते थे कि केवल राजनीतिक मुक्ति से उनके सपनों का भारत नहीं बनेगा। उनका मानना था कि करोड़ों वंचितों की सामाजिक-आर्थिक मुक्ति ही स्वाधीन भारत की पहचान होनी चाहिए।
प्रश्न. जो लोग राजनीति से धर्म का संबंध नहीं मानते वे धर्म को नहीं जानते। किसका कथन है-
(क) महात्मा गांधी
(ख) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ग) लाला लाजपत राय
(घ) गोपाल कृष्ण गोखले
प्रश्न. स्वाधीनता की व्यापक पहचान किसमें निहित है?
(क) राजनीतिक मुक्ति में।
(ख) सामाजिक मुक्ति में।
(ग) आर्थिक व सांस्कृतिक संदर्भों की मुक्ति में।
(घ) उपर्युक्त सभी में।
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (I) सत्यनारायण के प्रति आत्मवत् प्रेम की बात कही गई है।
कथन (II) रामराज्य के प्रति आत्मवत् प्रेम की बात कही गई है।
कथन (III) स्वतंत्रता के प्रति आत्मवत् प्रेम की बात कही गई है।
कथन (IV) निरंकुशता के प्रति आत्मवत् प्रेम की बात कही गई है।
गद्यांश के अनुसार कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(क) केवल कथन (IV) सही है।
(ख) केवल कथन (II) सही है।
(ग) केवल कथन (III) सही है।
(घ) केवल कथन (I) सही है।
प्रश्न. ‘वे जानते थे कि केवल राजनीतिक मुक्ति से उनके सपनों का भारत नहीं बनेगा’ में रचना के आधार पर वाक्य का भेद बताइए।
(क) सरल वाक्य
(ख) विधानवाचक वाक्य
(ग) मिश्र वाक्य
(घ) संयुक्त वाक्य
प्रश्न. गांधीजी का मानना था कि केवल राजनीतिक मुक्ति से …………… नहीं बनेगा।
(क) लोकतंत्र
(ख) संविधान
(ग) पूर्ण स्वराज्य
(घ) सपनों का भारत
प्रश्न. अहिंसा आन्दोलन का सिद्धांत भारतीयों को निम्न में से किसने दिया?
(क) जवाहर लाल नेहरू
(ख) सुभाष चंद्र बोस
(ग) महात्मा गांधी
(घ) लोकमान्य तिलक
प्रश्न. गांधीजी ने प्राणीमात्र के प्रति कैसे व्यवहार को आवश्यक माना?
(क) मित्रवत्।
(ख) आत्मवत्।
(ग) शत्रु के समान।
(घ) सहपाठी के समान ।
प्रश्न. गांधीजी की सत्य-पूजा उन्हें कहाँ घसीट लाई थी?
(क) भारत में।
(ख) राजनीति में ।
(ग) समाज-सुधार में।
(घ) देवालयों में।
प्रश्न. ‘प्रति’ उपसर्ग से बना शब्द है-
(क) प्रत्यक्ष
(ख) प्रत्येक
(ग) प्रतिदिन
(घ) ये सभी
प्रश्न. बीसवीं शताब्दी में भारत में सबसे बड़ी घटना कौन-सी हुई?
(क) भूस्खलन
(ख) बाढ़
(ग) स्वतंत्रता प्राप्ति
(घ) भूकम्प