अनौपचारिक पत्र : अनुज को पत्र
व्यायाम के महत्त्व को दर्शाते हुए अनुज को पत्र।
परीक्षा भवन
छपरा
25.12.xx
प्रिय अनुज
सस्नेह शुभाशीष !
तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। तुमने लिखा है कि आजकल तुम देर से सोते हो और तुम्हारा स्वास्थ्य भी बिगड़ता जा रहा है। तुम्हारा परीक्षा परिणाम भी पहले की तरह अच्छा नहीं है, तुम्हारे बहुत कम अंक आए हैं। प्रिय अनुज, तुम्हारे पत्र से ऐसा लगा कि देर तक सोना ही तुम्हारी अस्वस्थता एवं पढ़ाई में अरुचि का कारण है।
तुम्हें देर तक नहीं सोना चाहिए क्योंकि तुम तो यह अच्छी तरह जानते हो कि स्वास्थ्य ही मनुष्य की संपत्ति है।
क्या तुम उस कहावत को भी भूल गए जो माता जी अकसर कहा करती हैं- ‘जान है तो जहान है’ और तुम भी तो यह जानते हो कि ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।’
यदि अपना भविष्य उज्ज्वल बनाना चाहते हो तो प्रातः उठकर खुली हवा में भ्रमण एवं व्यायाम किया करो। व्यायाम द्वारा ही शरीर को शक्तिशाली एवं स्फूर्तिमय बनाया जा सकता है। व्यायाम से मन में उत्साह बना रहता है और मन प्रसन्न रहता है। नियमित व्यायाम करनेवाला व्यक्ति कभी किसी बीमारी का शिकार नहीं होता।
मुझे विश्वास है कि मेरी सलाह मानकर तुम नित्य व्यायाम करोगे और हृष्ट-पुष्ट होकर छुट्टियों में घर आओगे। किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो अवश्य लिखना।
तुम्हारा अग्रज
क ख ग