अनुच्छेद लेखन : हिमालयः भारत का मुकुट
हिमालयः भारत का मुकुट
विश्व के पर्वतों में हिमालय सबसे श्रेष्ठ स्थान रखता है। यह भारत, पाकिस्तान और चीन के मिलनस्थल सियाचिन के पास से प्रारंभ होकर निरंतर पूर्व की ओर बढ़ता गया है। हिमालय पर्वत श्रृंखला ही नहीं है, यह वह सीमा रेखा भी है जहाँ से भारतीय सभ्यता और संस्कृति एशिया के उत्तरी हिस्से से अलग होती है। यह भारत का मुकुट है; यह देवभूमि है। हिमालय का आकलन सिर्फ़ जड़ पर्वत के रूप में करना अन्याय होगा। जिस हिमालय से गंगा-यमुना की धाराएँ निकलकर संपूर्ण भारत को भौतिक समृद्धि और आध्यात्मिक शांति प्रदान करती हैं, जो हिमालय भारत का सजग प्रहरी है और जो हिमालय युगों से भारतीय इतिहास का मूकद्रष्टा रहा है, उसे मात्र जड़ पर्वत मानना सही नहीं है। हिमालय सिद्धों और तपस्वियों की भूमि है। ज्ञान और अध्यात्म के अक्षय भंडार इसके कण-कण में छिपे हुए हैं। यह भारत की कीर्तिपताका का उज्ज्वल, उत्तम और उच्च रत्न है। हिमालय हमारा गर्व है, हमारी मर्यादा है। हम यह कभी स्वीकार नहीं कर सकते कि कोई उसकी गरिमा को कम करने की बात भी सोचें।