अनुच्छेद लेखन : साइबर अपराध का बढ़ता आतंक
साइबर अपराध का बढ़ता आतंक
इन्टरनेट ने जहाँ मानव को अनेक सुविधाएँ दी हैं, वहीं उसे साइबर अपराध जैसे आतंक का सामना भी करना पड़ रहा है। साइबर अपराधी कम्प्यूटर वायरस के माध्यम से इन्टरनेट से जुड़े हुए कम्प्यूटर में संचित सूचनाओं, आंकड़ों और प्रोग्रामों को प्राप्त करके उन्हें नष्ट कर देते हैं अथवा उनका दुरुपयोग करते हैं। साइबर अपराध के क्षेत्र में किए गए अध्ययनों से यह पता चला है कि हैकिंग की अधिकतर घटनाएँ पूर्व कर्मचारियों के सहयोग से होती हैं। वहीं हैकरों को कम्पनी आंकड़ा कोष तक पहुँचा देते हैं और इसके बाद पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नम्बर आदि को चुरा लेना या महत्वपूर्ण आंकड़ों को नष्ट कर देना मामूली बात है। इंटरनेट पर ऐसी अनेक वेबसाइट उपलब्ध हैं जो ऐसे डिजिटल उपकरण उपलब्ध कराती हैं जो हैकिंग में मददगार हैं। इन उपकरणों की सहायता से दूसरे के कम्प्यूटरों को जाम किया जा सकता है या उन्हें अपने नियन्त्रण में लिया जाता है। साइबर अपराध के माध्यम से आम आदमी से लेकर बड़ी-बड़ी कम्पनियों तक को कई बार बहुत अधिक आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। कुछ वर्ष पूर्व अमेरिका में साइबर अपराधियों ने मेलिसा नामक वायरस इंटरनेट पर फैला कर ई-मेल कम्पनियों को 8 करोड़ डॉलर का नुकसान पहुँचाया था। साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए भारत समेत नौ एशियाई देशों ने वर्ष 2003 में एक सहयोग समझौता किया। इन देशों के बीच सूचना के आदान-प्रदान हेतु वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क नामक प्रणाली विकसित की गई है। विश्व के अन्य देशों के बीच भी प्रकार के सहयोग की आवश्यकता है। इंटरपोल भी साइबर अपराधों की रोकथाम हेतु कार्य कर रहा है।