अनुच्छेद लेखन : समाचार-पत्र
जिज्ञासा और अभिव्यक्ति मनुष्य की जन्मजात प्रवृत्तियाँ हैं। इसलिए मनुष्य कोई भी नई बात जानने पर उसे दूसरों तक पहुँचाने के लिए सदैव अधीर रहता है। आजकल लोगों को सुबह उठते ही दो चीजों का ध्यान आता है-समाचार-पत्र और चाय। अकसर दिन की शुरुआत समाचार-पत्र पढ़ने से ही होती है। टेलीविजन को आने के बाद भी समाचार-पत्रों का महत्त्व बढ़ता ही जाना आश्चर्यजनक ही है। समाचार पत्र खबरों को पाने का सर्वोत्तम साधन है। इसे कहीं भी और कभी भी पढ़ा जा सकता है, इसलिए इसका महत्त्व कभी कम नहीं हो सकता। विस्तार और विश्लेषण के साथ खबरें समाचार पत्रों से ही प्राप्त होती हैं। अब तो समाचार पत्रों के विषय और विस्तृत हो गए हैं। ताजा खबरों के साथ-साथ अन्य प्रकार की रोचक जानकारियाँ भी समाचार-पत्रों में खूब प्रकाशित होती हैं। समाचार पत्रों में राजनीतिक खबरों के साथ-साथ आर्थिक खबरें पूर्ण संदर्भ के साथ प्रकाशित होती हैं। समाचार पत्रों में प्रकाशित होनेवाले संपादकीय, आलेख, पाठकों के नाम पत्र, व्यंग्य लेख, समसामयिक लेख, वाद-विवाद और धार्मिक पौराणिक लेख काफी आकर्षक हुआ करते हैं। आज भारत में दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, अमर उजाला और पंजाब केसरी जैसे हिंदी के अखबार घर-घर में पढ़े जाते हैं। आजकल समाचार-पत्रों का एक बुरा पक्ष भी उजागर हो रहा है। मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता और नग्नता को परोसा जाने लगा है। इस कारण समाचार-पत्र को परिवार के साथ पढ़ना मुश्किल हो गया है। समाचार-पत्रों में इनके लिए स्थान होना घातक है। समाचार पत्रों का उद्देश्य होना चाहिए समाचारों को सकारात्मक दिशा देना, न कि उन्हें भटकाव की ओर ले जाना।