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अनुच्छेद लेखन : मेरे जीवन का लक्ष्य


मेरे जीवन का लक्ष्य


एक नाव को यदि यूँ ही सागर में छोड़ दिया जाए तो वह दिशाहीन हो भटकती रहती है। उसका अंत क्या होगा, कोई नहीं जानता। उसी प्रकार मनुष्य जीवन भी यदि दिशाहीन हो तो वह अनिश्चितता के सागर में गोते खाता रहता है और कहीं भी पहुँच नहीं पाता। अतः हम सबको जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। मेरा एक सपना है कि मैं डॉक्टर बनूँ। वैसे तो कई व्यवसाय हो सकते हैं, जिससे मैं धन कमा सकता हूँ, लेकिन डॉक्टर बनकर मैं धन कमाने के साथ-साथ मानवता के प्रति अपने कर्तव्य की पूर्ति भी कर पाऊँगा, ऐसा मेरा मानना है। जब भी मैं डॉक्टरों द्वारा मरीजों को संतुष्टि पहुँचाते देखता हूँ तो मेरी इच्छा और भी बलवती हो जाती है। इसके लिए मुझे बहुत पढ़ना होगा। डॉक्टरी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत धन भी ख़र्च करना होगा, साथ ही इस महान लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने आराम और सुविधाओं का त्याग भी करना होगा, यह मैं अच्छी तरह जानता हूँ। मुझे लगता है कि एक डॉक्टर को सबसे पहले एक अच्छा इंसान होना चाहिए। विनम्रता और दूसरों के प्रति सच्ची सहानुभूति होना सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। मैंने देखा है कि एक डॉक्टर जब रोगी से प्रेमपूर्वक, सहृदयता से बात करता है तो उसका आधा दर्द तो स्वयमेव दूर हो जाता है। मैं अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़-संकल्प हूँ और इसे पाकर ही रहूँगा ।