अनुच्छेद लेखन – पुस्तकालय
पुस्तकालय
ज्ञान-विज्ञान की निस्सीम प्रगति के साथ पुस्तकालयों की सामाजिक उपयोगिता और अधिक बढ़ गई है। युग-युग की साधना से मनुष्य ने जो ज्ञान अर्जित किया है, वह पुस्तकों में संकलित होकर पुस्तकालयों में सुरक्षित है। वे जनसाधारण के लिए सुलभ होती हैं। पुस्तकालयों में अच्छे स्तर की पुस्तकें रखी जाती हैं; उनमें कुछ एक पुस्तकें अथवा ग्रंथमालाएँ इतनी महँगी होती हैं कि सर्वसाधारण के लिए उन्हें स्वयं खरीदकर पढ़ना संभव नहीं होता। यह बात संदर्भ ग्रंथों पर विशेष रूप से लागू होती है। बड़ी-बड़ी जिल्दों के शब्द-कोशों और विश्वकोशों तथा इतिहास-पुरातत्व की बहुमूल्य पुस्तकों को एकसाथ पढ़ने का सुअवसर पुस्तकालयों में ही संभव हो पाता है। इतना ही नहीं, असंख्य दुर्लभ और अलभ्य पांडुलिपियाँ हमें पुस्तकालयों में संरक्षित मिलती हैं। आज आवश्यकता है कि नगर-नगर में अच्छे और संपन्न पुस्तकालय खुलें और देश विशेष स्था की युवा प्रतिभाओं के विकास के सुअवसर सहज सुलभ हों।