अनुच्छेद लेखन : खेल और व्यायाम


खेल और व्यायाम


लोक में एक उक्ति प्रचलित है-‘पहला सुख निरोगी काया।’ स्वस्थ शरीर मनुष्य-जीवन के लिए नियामत है। इसके लिए व्यायाम की आवश्यकता होती है। खेल व्यायाम का एक मनोरंजक रूप है। जो आलस्य और अरुचि के कारण व्यायाम से कतराते हैं, वे भी खेलों में पूरी दिलचस्पी दिखाते हैं। खेलों से न केवल शरीर बलिष्ठ होता है, बल्कि मन भी स्वस्थ व प्रसन्न रहता है। इसी दृष्टि से हर देश अपने राष्ट्र की शिक्षा नीति में खेलों को महत्त्वपूर्ण स्थान देता है। स्कूलों, कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में अनेक प्रकार के ‘इन-डोर’ व ‘आउट डोर’ खेलों के साथ व्यायामपूर्ण ‘एथलेटिक’ खेलों की पूरी व्यवस्था रहती है। हमारे देश के खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर व वहाँ अपनी खेल प्रतिभा की छाप लगाकर देश का गौरव बढ़ाते हैं। सरकार की ओर से भी प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।