अपठित गद्यांश : अपने खर्राटों से……….. तुम लौट जाओ।

तुम कब जाओगे, अतिथि : शरद जोशी अपने खर्राटों से एक और रात गुंजायमान करने के बाद कल जो किरण

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अपठित गद्यांश : तुम्हें यहां अच्छा…………. बोला जा सकता है।

तुम कब जाओगे, अतिथि : शरद जोशी तुम्हें यहाँ अच्छा लग रहा है न। मैं जानता हूँ। दूसरों के यहाँ

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अपठित गद्यांश : तीसरे दिन की………… राक्षस भी हो सकता है।

अतिथि तुम कब, जाओगे : शरद जोशी तीसरे दिन की सुबह तुमने मुझसे कहा, “मैं धोबी को कपड़े देना चाहता

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अपठित गद्यांश : एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा (हिमपात अपने आप में)

निम्नलिखित गद्यांश और इस पर आधारित प्रश्नों को ध्यान से पढ़ कर उत्तर दीजिए – हिमपात अपने आप में एक

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अपठित गद्यांश : एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा (एवरेस्ट की तरफ से)

एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा : बचेंद्री पाल निम्नलिखित गद्यांश और इस पर आधारित प्रश्नों को ध्यान से पढ़ कर उत्तर

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एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा : अति लघु प्रश्न

एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा : बचेंद्री पाल प्रश्न 1. किस जानकारी ने लेखिका को भयभीत कर दिया? उत्तर : लेखिका

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एवरेस्ट:मेरी शिखर यात्रा – पाठ के शब्दार्थ

एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा: बचेंद्री पाल अग्रिम दल : पहले पहुँचनेवाला समूह। बेस कैंप : जहाँ से चढ़ाई का अभियान

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दुःख का अधिकार : लघु प्रश्न-उत्तर

दुःख का अधिकार : यशपाल अति लघु प्रश्न प्रश्न 1. किस आधार पर हमारे समाज में व्यक्ति का स्तर निर्धारित

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अपठित गद्यांश : दुःख का अधिकार (बुढ़िया खरबूजे बेचने)

बुढ़िया खरबूजे बेचने का साहस करके आई थी, परंतु सिर पर चादर लपेटे, सिर को घुटनों पर टिकाए हुए फफक-फफककर

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अपठित गद्यांश : दुःख का अधिकार (जिंदा आदमी)

जिंदा आदमी नंगा भी रह सकता है, परंतु मुर्दे को नंगा कैसे विदा किया जाए? उसके लिए तो बजाज की

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