दूरदर्शन के कार्यक्रमों को लेकर दादा जी और मोनिका के मध्य संवाद
दूरदर्शन के कार्यक्रमों को लेकर दादा और मोनिका के मध्य संवाद
दादा जी : आजकल दूरदर्शन पर कार्यक्रमों की होड़ में अच्छे-बुरे का ध्यान ही नहीं रह गया है।
मोनिका : सो तो है दादा जी ! पर कुछ कार्यक्रम तो बहुत ही अच्छे हैं।
दादा जी : मैं तो अधिक कार्यक्रम देख नहीं पाता, मगर जो देखता हूँ, वे भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं हैं।
मोनिका : दादा जी ! आप रामायण, महाभारत और जय हनुमान जैसे कार्यक्रमों के विषय में तो ऐसी बात नहीं कह सकते।
दादा जी : बेटी! ऐसे दो चार कार्यक्रमों को अपवाद ही कहा जा सकता है।
मोनिका : ऐसा नहीं है, दादा जी ! ऐसे बहुत से कार्यक्रम हैं जो विभिन्न प्रकार की जानकारी देते हैं इनसे हमारी ज्ञान वृद्धि भी होती है।
दादा जी : पर बेटी ! दूरदर्शन के अधिकांश कार्यक्रमों में तो मारकाट और छिछलापन ही दिखाई देता है।